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शास्त्रों और आयुर्वेद के अनुसार क्या होनी चाहिए दिनचर्या

by staff

शास्त्रों के अनुसार दिनचर्या ( Shastro ke anusar dincharya ) संस्कृत भाषा में दैनिक कार्यक्रम को दिनचर्या कहा जाता है। जैसा की हम जानते है की सनातन धर्म में हर काम और हरकत के लिए के लिए नियम बंधा हुआ है। 

यह नियम ऐसे है जिसमे आप कही पर भी बंधा हुआ महसूस नही करेंगे। इन नियम को अपनाने से आप निरोगी और सुखी रहेंगे। इसमें सोना और जागना इत्यादि शामिल है। अच्छी शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रहने के लिए इन नियमों को Follow करना जरुरी है। आईये जानते है दिनचर्या के उन नियमों के बारे में।

शास्त्रों के अनुसार दिनचर्या –

शास्त्रों और वेदों के अनुसार एक मनुष्य को अपने जीवन में इन दिनचर्या को अपनाना चाहिए। इन दिनचर्या को Follow करने से आपके शरीर में एक अलग ही शक्ति पैदा होती है और आप स्वस्थ्य होते जाते है। 

इस आर्टिकल में शास्त्रों के अनुसार सोने और जागने के नियम के बारे में बताने जा रहे है। 

सोने के नियम

शास्त्रों में सोने के लिए भी इस प्रकार है – 

कब सोये – कब उठे?

ऐसा माना जाता है की हर किसी को रात्रि के समय प्रहर में सो जाना चाहिए और सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए और उठ कर संध्यावंदन करना चाहिए। परन्तु आज के समय में यह संभव नही है। इसके लिए हमे यह करना चाहिए की हमे सुबह जल्दी उठना चाहिए और सुबह उठ कर व्यायाम और संध्यावंदन करना चाहिए। 

कैसे लेटे और किस दिशा में हो सर

ऐसा माना जाता है की हमे शवासन में सोना चाहिए, इससे हमारे शरीर को आराम मिलता है। इसइ साथ ही हम सोने के समय करवट ले तो बाई और करवट ले। वही अगर बहुत ही जरुरी हो तब ही दाई और करवट ले।

ऐसा भी माना जाता है की सर हमेशा पूर्व और दक्षिण में ही रख के सोये। पूर्व और दक्षिण में सोने से शरीर भी स्वस्थ रहता है और उम्र लम्बी रहती है। 

सोने से समय के कम से चार घंटे पहले पानी का त्याग करना चाहिए। इसके अलावा संध्याकाल के बाद भोजन नही करना चाहिए। 

जागरण का समय

आयुर्वेद में जागरण का भी अपने अलग-अलग नियम है। सोने के साथ ही जागरण के नियम भी जरुरी है। 

ब्रह्म मुहूर्त

शास्त्रों के अनुसार देखा जाए तो ब्रह्म मुहूर्त में जागरण से मनुष्य की दिनचर्या नियमित होनी चाहिए। इसके साथ ही सुबह जल्दी उठना चाहिए और साथ ही खाने और रहने का समय भी एक ही निश्चित होना चाहिए। सूर्योदय से लगभग डेढ़ घंटे पहले तक का समय ब्रह्ममुहूर्त होता है। 

मनोरंजन है मूर्छा

ऐसा भी माना जाता है की मनोरंजन के साथ वार्तालाप में अत्यधिक रूचि लेते है। मन को किन्ही फ़ालतू कामों म भटकने से बजाय मनोरंजन में ध्यान दे। इसे जागरण की रक्षा होती है।

पूर्ण जागरण

जब आदमी सुबह उठता है तो कुछ समय तक उसके शरीर पर नींद की खुमारी रहती है या यूँ कहे की नींद का असर रहता है। ऐसे में मनुष्य को कोई भी काम करने से पहले पूर्ण जागना और जागा हुआ चाहिए।

अंतिम शब्द 

इस आर्टिकल में आपको शास्त्रों के अनुसार दिनचर्या ( Shastro ke anusar dincharya ) के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया है। उम्मीद है आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा। इस आर्टिकल को आप अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें।

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