Rajasthan ka rajya pashu kya hai ( राजस्थान का राज्य पशु क्या है) राजस्थान जैसे मरुस्थल वाले इलाके में जीवन का पनपना आश्चर्य की बात है। यहाँ की जीवन शैली भले ही कठिन है, परंतु इंसान तथा जानवर अपने आप को इस रेगिस्थान में ढालने के साथ साथ काया विस्तार भी करते आये है।
ऐसा बहत कम ही देखने को मिलता है कि रेगिस्थान इलाके में वन्य जीवन किस कठिनाइयों से जूझ रही है। ऐसे में मरुस्थल में तो ऊंट बड़े आराम से रह लेते है, मगर हिरन जैसी प्रजाति जिन्हें हरे चारे तथा पानी की शख्त जरुरत होती है राजस्थान में मिलना चकित करने वाली बात है।
ऐसा ही एक पशु उट है जो राजस्थान में काफी प्रसिद्ध है. चलिये आज के इस लेख में चर्चा करते है ऐसे ही एक हिरन प्रजाति के बारे में जो के “राजस्थान का राज्य पशु” है।
राजस्थान का राज्य पशु
राजस्थान के 2 राज्य पशु है, चिंकारा और ऊंट। दोनों ही जीव रेगिस्तानी इलाके में रहने के हिसाब से अपने आप को ढाल चुके है। चलिये संक्षिप्त में जानते है दोनों के बारे में।
चिंकारा
चिंकारा भारत समेत पाकिस्तान, ईरान, अफगानिस्थान और बांग्लादेश के घास के मैदान में पाए जाने वाले मृग है। यह भारतीय गज़ेल या गज़ेल बेंनेट्टी के नाम से भी मशहूर है। यह मृग बोविड़ी कुल तथा एंटीलोपिनी उपकुल के गजला बंश के हिरन होते है। राजस्थान सरकार द्वारा 22 मई 1981 को इसे राज्य पशु (वन्य पशु की श्रेणी) की मान्यता दिया गया।
65 सेंटीमीटर तक ऊंचे तथा 23 किलो वजनी यह हिरन एशियाई महाद्वीप में पाई जाने वाली सबसे छोटी गज़ेल है। इनके सिंग 39 सेंटीमीटर तक लंबे हो सकते है। इनके शरीर का रंग लाल- भूरा और पेट के हिस्सा भूरा होता है, सर्दी आते आते इनका रंग गहरा बन जाता है।
बिना पानी के भी उट कई दिनों तक जिंदा रह सकते है, घास तथा पत्तियों से मिले नमी और ओंस के बूंदों से ही अपने पानी की कमी को दूर करते है। इन्ही सभी खूबियों के वजह से राजस्थान जैसी रेगिस्तानी इलाकों में ये पनप पा रहे है।
2001 में की गयी गणना के अनुसार भारत में कुल 1,00,000 चिंकारा से केवल राजस्थान में ही 80,000 चिंकारा रहते है। स्वाभाव से शर्मीले यह प्राणी हमेसा अकेले देखे जा सकते है, कभी कवार 3-4 के झुंडों में यह रहते है।
शरद और बसंत ऋतु में प्रजनन करने वाले यह जीव की गर्भ धारण अवधि साढ़े पांच महीनो की होती है। चिंकारा की औसतन आयु 132 से 15 साल होती है। यह राजस्थान के रणथंबोर नेशनल पार्क और डेजर्ट नेशनल पार्क में काफी मात्रा में पाए जाते है। इन्हें जयपुर के नहरगढ़ के पास भी अक्सर देखा जा सकता है।
ऊंट
“रेगिस्थान के जहाज” से मशहूर ऊंट राजस्थान का राज्य पशु (पालतू श्रेणी) है। मांस के लिए मरे जाने से सिकुड़ती हुई इनकी संख्या को बचाने के लिए राजस्थान सरकार द्वारा 2014 में ऊंट को राजस्थान का राज्य पशु का दर्जा देने के साथ साथ इनको संरक्षित श्रेणी में भी शामिल किया गया।
राजस्थान में ऊंटों की कई प्रजाति देखे जा सकते है, जिनमे बीकानेरी, जैसलमेरी, जालौरी, मेवाड़ी आदि मुख्य है। देश के 70 प्रतिशत ऊँट के साथ राजस्थान सबसे ज्यादा ऊंट वाला क्षेत्र है।ज्यादातर लोग इन्हें दूध के लिये पाला करते है। कम पानी से जीवन अतिवाहिय करना तथा वजन उठाने के क्षमता के वजह से ऊंटों को सामान ले जाने में भी इस्तेमाल किया जाता है।
आपने क्या सीखा ?
हमे आशा है की आपको Rajasthan ka rajya pashu ( राजस्थान का राज्य पशु ) विषय के बारे में दी गई जानकारी अच्छी लगी होगी। अगर आपको इस विषय के बारे में कोई Doubts है तो वो आप हमे नीचे कमेंट कर के बता सकते है। आपके इन्ही विचारों से हमें कुछ सीखने और कुछ सुधारने का मोका मिलेगा।